एक छोटा सा सफर... कुछ यादें, कुछ जगहें Free Travel

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कुछ दिन पहले ज़िंदगी की भागदौड़ से ब्रेक लेने का मन हुआ। बस बैग उठाया और निकल पड़ा वहां, जहां दिल ने कहा – बिना ज्यादा प्लानिंग, बिना किसी बड़ी तैयारी के।

पहला स्टॉप – शिमला की ठंडी हवाएं

जब दिल्ली की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई, तो ट्रेन पकड़ ली कालका की। वहां से टॉय ट्रेन और फिर शुरू हुआ एक जादुई सफर। सुबह की धूप, पहाड़ों पर गिरती छांव, और हाथ में गर्म चाय – शायद इसी को सुकून कहते हैं।

जयपुर – कुछ रंग, कुछ कहानियां

शिमला से लौटने के बाद दोस्तों के कहने पर जयपुर निकल गया। आमेर किला देखा तो लगा जैसे इतिहास बोल रहा हो। हवा महल की खिड़कियों से झांकते वक़्त महसूस हुआ कि हर दीवार कुछ कह रही है।

गोवा – जहां रातें छोटी लगती हैं

कुछ दिन बाद समुंदर की ख्वाहिश जगी तो सीधा गोवा। दिन भर बीच पर लेटना, और रात में अनजान लोगों के साथ गिटार की धुन पर गुनगुनाना... ऐसा वक़्त शायद हर किसी को मिलना चाहिए।

केरल – हरियाली और शांति का जादू

गोवा से थक कर सीधा केरल। अलेप्पी की बैकवाटर में जब नाव चल रही थी, तो लगा जैसे वक़्त थम गया हो। मुन्नार की चाय की ख़ुशबू आज भी दिल में बसी है।

और फिर कश्मीर...

शब्द नहीं हैं इस जगह के लिए। शिकारा पर बैठ कर जब डल झील में सूरज डूबता है, तो सब कुछ बस शांत हो जाता है – मन, सोच और दिल।


छोटी-छोटी बातें जो याद रहीं:

  • लोकल लोगों से बात करना असली मज़ा है

  • हर जगह का खाना कुछ नया सिखा देता है

  • कैमरा से ज़्यादा जरूरी है महसूस करना


आखिर में...

यात्रा सिर्फ जगहें देखने का नाम नहीं है, ये अपने आप से मिलने का एक तरीका है। अगर दिल कहे "चलो कहीं चलते हैं" – तो चल देना चाहिए। शायद वही सफर आपकी कहानी बन जाए।



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